Share Market Basics in Hindi
शेयर मार्केट Share Market क्या है ?, कैसे काम करता हैं? और क्या है निवेश के तरीके ?
आप सभी ने शेयर मार्केट ,स्टॉक मार्केट और इक्विटी मार्केट के बारे में सुना ही होगा, बहुत
से लोगों को तो इन तीनों में बहुत ही ब्रह्म है यह तीनों मार्केट एक ही हैं बस नाम अलग-अलग हैं
चाहे आप स्टॉक मार्केट कहिए शेयर मार्केट कहिए या इक्विटी मार्केट कहिए मतलब एक ही है
शेयर मार्केट क्या है? What is Share Market?
शेयर मार्केट को जानने से पहले हम जानते हैं कि शेयर क्या होते हैं?
“हिंदी भाषा में शेयर का मतलब होता है “हिस्सा”और स्टॉक मार्केट की भाषा में बात करें तो शेयर का मतलब होता है “कंपनियों में हिस्सा” मतलब कंपनियों में हिस्सेदारी”
दोस्तों किसी भी बिजनेस को आपको Grow करना है तो आपको कैपिटल यानी पैसे की जरूरत होगी जिसके लिए कंपनी के छोटे-छोटे टुकड़े कर दिया जाते हैं जिन्हें शेयर कहते हैं मतलब हिस्सेदारी करना
“मार्केट” शब्द से हम भलीभांति परिचित हैं जिसे हम बाजार कहते हैं, जहां पर चीजें या वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है
जहां पर वस्तुएं खरीदी और बेची जाती हैं ,इसी प्रकार शेयर मार्केट में शेयर्स की बिक्री और खरीदारी की जाती है, बिक्री और खरीदारी Physically और virtual दोनों तरह से हो सकती है
सामान मार्केट की तरह शेयर मार्केट भी काम करता है यह भी डिमांड और सप्लाई पर निर्भर होता है
अगर आपके शेयर्स की मार्केट वैल्यू अच्छी है और कंपनी निरंतर Growth कर रही है तो आपके शेयर्स की कीमत भी बढ़ जाती है और अगर डिमांड कम होगी तो कीमत भी कम हो जाएगी
“IF DEMAND GOES UP PRICE GOES UP AND DEMAND DOWN PRICE DOWN”
कैपिटल या पैसा निम्नलिखित तरीके से इकट्ठा कर सकते हैं:-
- कंपनी के मालिक के पास पैसे होनी चाहिए मतलब खुद का स्वामित्व एकल स्वामित्व( NO Sharing)
- अपनी कंपनी के लिए इन्वेस्टर ढूंढ सकता है यानी जिन बंधुओं के पास बहुत पैसा है जो आपकी कंपनी में पैसा लगाने के इच्छुक हैं
- पब्लिक से फंडिंग पूंजी ले सकता है
उदाहरण के लिए दोस्तों मान लो आपको एक नया स्टार्टअप खोला है और आपके पास ₹10000 है
लेकिन वह काफी नहीं है तो आप अपने दोस्त के पास जाते हो और कहते हो कि तू भी ₹10000 लगा और हम 50-50 पार्टनरशिप करेंगे तो आपकी कंपनी का जो भी भविष्य में प्रॉफिट होगा 50% आपको मिलेगा 50% आपके दोस्त को मिलेगा
इस case में इसमें आपने अपने दोस्त को अपनी कंपनी के 50% शेयर दे दिए
इसी तरह की प्रक्रिया मार्केट में बड़े स्तर पर शेयर मार्केट ‘Share Market’ में होती है वहां पर आप अपने दोस्त के पास जाने की जगह पूरी दुनिया के पास जाते हो और कहते हो कि आओ मेरी कंपनी में शेयर्स खरीदो
शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी को फंड पब्लिक फंडिंग के माध्यम से मिलता है इसके लिए वह अपना एक आईपीओ लॉन्च करती है
Initial Public Offering (IPO):-
आईपीओ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्राइवेट कॉरपोरेशन अपने शेयर को पब्लिक के लिए खरीदने का अवसर देती है सार्वजनिक (Public) शेयर जारी करने से एक कंपनी को सार्वजनिक निवेशकों (INVESTORS) से पूंजी (CAPITAL)जुटाने की अनुमति मिलती है
जिसमें आम लोग इस आईपीओ को खरीद कर कंपनी में हिस्सेदार बन जाते हैं और कंपनी को ग्रो (GROW) करने के लिए पैसे मिल जाते हैं
शेयर से पैसे कैसे कमाए जाते हैं:
शेयर(shares) से मुख्यतः दो प्रकार से पैसे कमाए जा सकते हैं
- शेयर को कम दाम पर खरीदने और अधिक दाम पर बेचने से हुए लाभ से (Value Growth Income)
- लाभांश (Dividend) से हुए लाभ से
Shares को कम दाम पर खरीदने और अधिक दाम पर बेचने से हुए लाभ से (Value Growth Income):
आपके खरीदे हुए शेयर जिस कंपनी है अगर वह लगातार बिजनेस अच्छा कर रही है और
प्रॉफिट कमा रही है तो आप के शेयर की कीमत भी बढ़ रही होती है और अगर कंपनी की स्थिति खराब है
और वह Loss में जा रही है तो आपके शेयर की कीमत भी कम हो जाती है तो आपको शेयर के भाव बढ़ जाने पर शेयर मार्केट
“Share Market” में अपने शेयर बेच देना चाहिए जिससे आपको लाभ मिलेगा
लाभांश (Dividend) से हुए लाभ से:
लाभांश देना मुख्यतः कंपनी के डायरेक्टर या मैनेजमेंट पर निर्भर करता है अगर कंपनी निरंतर अच्छा लाभ कमा रही है ,उनका बिजनेस अच्छा चल रहा है तो वह अपने शेयर होल्डर्स को कुछ शेयर या प्रॉफिट लाभांश के रूप में देती है
उदाहरण के लिए किसी कंपनी की वैल्यू है 5 करोड़ और उसने टोटल शेयर जारी किए हैं 5लाख और प्रत्येक शेयर की वैल्यू ₹100 होगी और अगर आप उसके आईपीओ लेते हैं तो आप उस कंपनी में 5000 के हिस्सेदार बन जाओगे
और अगर यह कंपनी भविष्य में प्रॉफिट कमाती है तो और 5 करोड के ₹10 करोड़ हो जाते हैं तो आपने जो शेयर 5000 के लिए हैं उनकी कीमत ₹10000 हो जाएगी और अगर यह कंपनी भविष्य में लॉस में जाती है तो उसी हिसाब से आपके पैसे कम हो जाएंगे
History of share Market:
शेयर मार्केट की शुरुआत आज से करीब 400 साल पहले हुई थी,
17 वीं शताब्दी की शुरुआत में डच ट्रेडिंग कंपनियां थी जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी थी जो आज के समय में नीदरलैंड से है
उस समय में व्यापार की अवसर के लिए लोग जहाजों पर ट्रेडिंग किया करते थे क्योंकि उस समय व्यवसाय के लिए
यह जहाज पूरी दुनिया को खोजते थे ,और व्यवसाय के अवसर निकालते थे जिस जहाज का व्यवसाय खोज पाता था
और उस पर जिन लोगों का शेयर होता था उनको लाभ मिलता था क्योंकि जहाज दूसरे देश में जाकर वहां से व्यवसाय करके लाभ कमा कर लाते थे
WHAT IS स्टॉक एक्सचेंज?
स्टॉक एक्सचेंज वह जगह है वह बिल्डिंग है जहां पर लोग अपने शेयर खरीदते और भेजते हैं मतलब शेयर को एक्सचेंज करते हैं
पुराने समय में शेयर की बिक्री और खरीदारी प्रत्यक्ष रूप से जाकर होती थी लेकिन आज के युग में इंटरनेट के माध्यम से आप ऑनलाइन शेयर खरीद और भेज सकते हैं वह भी अपने मोबाइल के जरिए
हमारे भारत देश के मुख्य एक्सचेंज :
- BSE (Bombay Stock Exchange)-official link-http://www.bseindia.com/
- NSE (National Stock Exchange) -official link-https://www.nseindia.com/
- Calcutta Stock Exchange Ltd. -official link- http://www.cse-india.com/
- India International Exchange (India INX) -official link –http://www.indiainx.com/
- Indian Commodity Exchange Limited-official link –http://www.icexindia.com/
- Metropolitan Stock Exchange of India Ltd. -official link-http://www.msei.in/index.aspx
- Multi Commodity Exchange of India Ltd-official link- https://www.mcxindia.com/
- National Commodity & Derivatives Exchange Ltd.-official link-http://www.ncdex.com/
- NSE IFSC Ltd. -official link –https://www.nseifsc.com/
BSE और NSE भारत के सबसे प्रमुख एक्सचेंज में से हैं
BSE और NSE संक्षिप्त विवरण का :
सन 1875 में एशिया का सबसे बड़ा ,पहला स्टॉक एक्सचेंज खोला गया जिसका नाम है बीएससी यानी BOMBAY STOCK EXCHANGE जिसको सिक्योरिटी कांटेक्ट एग्रीमेंट एक्ट 1956 के तहत मान्यता दी गई
BSE 9001:2000 सर्टिफिकेशन प्राप्त विश्व का दूसरा और भारत का पहला स्टॉक एक्सचेंज है, 6 माइक्रोसेकंड की क्षमता के साथ बीएसई दुनिया का सबसे FASTEST STOCK EXCHANGE है,
सन 1994 में एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई और 1 साल के अंदर ही ट्रेडिंग की औसत वैल्यू के अनुसार भारत का नंबर वन एक्सचेंज बन गया
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BSE और NSE दोनों के कार्यप्रणाली:
वैसे तो BSE और NSE दोनों के कार्यप्रणाली एक जैसी है बस इनकी INDEX VALUE में अंतर है
*SENSEX बीएससी का मुख्य निर्देशांक है, SENSEX यह शब्द Senstive+ Index को मिलाकर बना है
Senstive के पहले चार अक्षर Index के अंत के दो अक्षर से मिलाकर Sensex बना है
सेंसेक्स में अलग-अलग सेक्टर की 30 बहुचर्चित और अच्छे ट्रक वाली कंपनियां रजिस्टर्ड है, इसका मतलब है कि सेंसेक्स अपना मूवमेंट इन 30 कंपनियों के प्राइस मूवमेंट के अनुसार दर्शाता है
*NIFTY एनएसई का मुख्य निर्देशांक है,NIFTY यह शब्द NATIONAL+FIFTY को मिलाकर बना है
50 इसलिए कि निफ्टी में 50 कंपनी शामिल हैं NIFTY में अलग-अलग सेक्टर की 50 बहुचर्चित और अच्छे ट्रैक वाली कंपनियां रजिस्टर्ड है, इसका मतलब है कि NIFTY अपना मूवमेंट इन 50 कंपनियों के प्राइस मूवमेंट के अनुसार दर्शाता है, इसे nifty50 के नाम से भी जाना जाता है
अगर निफ्टी और सेंसेक्स में शामिल कोई स्टॉक लगातार खराब प्रदर्शित करता है तो स्टॉक एक्सचेंज उस स्टॉक को एक्सचेंज से निकाल कर उसे well established और लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्टाफ से बदल सकता है यह फैसला स्टॉक एक्सचेंज का खुद का फैसला होता है
उदाहरण के लिए 2016 में NSE ने Cairn india,Vendanta और Pnb को निकालकर उनकी जगह पर
Aurobindo ,Bharati Infratel, और Eicher Motors को निफ्टी में ऐड किया था
Listed Companies:
NSE में लगभग 1700 कंपनी लिस्टेड हैं
BSE में लगभग 5400 कंपनी लिस्टेड हैं
मार्केट का हाल जानने के लिए इन सारी कंपनियों को ट्रैक करना नामुमकिन है इसलिए यह इंडेक्स बनाए गए
भारत में स्टॉक मार्केट का हाल जानने के लिए आपको सारी कंपनियों को ट्रैक करने की जरूरत नहीं है बस निफ्टी और सेंसेक्स देखकर आप मार्केट का हाल जान सकते हो कि मार्केट अपट्रेंड में हैं या डाउनट्रेंड में
जब सेंसेक्स और निफ्टी UP होते हैं तो GREEN निशान में प्रदर्शित होते हैं तो स्टॉक मार्केट UP है
जब सेंसेक्स और निफ्टी DOWN होते हैं तो RED निशान में प्रदर्शित होते हैं तो स्टॉक मार्केट DOWN है
Stock Market की जरुरत क्यों है? Why we need stock market:
शेयर मार्केट(Share Market) की जरूरत के प्रमुख कारण
1.अर्थव्यवस्था की नजरिए से:
- देश की प्रगति के लिए शेयर मार्केट औद्योगिक प्रगति (इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट) और आर्थिक व्यवस्था
- (इकोनामिक सिस्टम )की स्थिति के बारे में ज्ञान देता है
2.उद्योगों की नजर से:
शेयर मार्केट कंपनियों के लिए कैपिटल यानी पूंजी प्राप्त करने का सबसे अच्छा विकल्प है,
- Long term finance(लंबे समय के लिए पूंजी): शेयर मार्केट से प्राप्त पूंजी कंपनी रहेगी जब तक के लिए प्राप्त होती है और इस पूंजी पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं होता है जैसे बैंक लेती हैं
- पूंजी पर कोई ब्याज दर नहीं: शेयर मार्केट के द्वारा लिए गए पूंजी पर कोई ब्याज दर नहीं लगती है जैसे कि दूसरे लोन पर लगती है
- ना के बराबर रिस्क: मतलब शेयर जो व्यक्ति ने खरीदे हैं उनकी मूल्य तक ही उत्तरदायी होगा ,कंपनी के शेयर होल्डर (निवेशक) का रिस्क शेयर के मूल की लिमिट तक ही सीमित होता है
शेयर के प्रकार TYPES OF SHARE:
भारत में शेयर प्रदान करने के लिए कई रास्ते हैं, कई प्रकार से शेयर Issue किए जाते हैं कुछ प्रमुख शेयर इस प्रकार हैं
- इक्विटी शेयर (Equity Shares)
- प्रेफेरेंस शेयर (Preference Shares)
- डीफ्फेरेड शेयर (Deferred Shares)
- बोनस शेयर (Bonus Shares)
शेयर बाजार में निवेश करने के तरीके:HOW TO INVEST IN SHARE MARKET:
शेयर बाजार में हम दो तरह से निवेश कर सकते हैं
Intraday-Trading (इंट्रा डे ट्रेडिंग):
इंट्राडे ट्रेडिंग वह ट्रेडिंग है जिसमें शेयर खरीदना और बिक्री करना एक ही दिन में करना अनिवार्य होता है
जैसे कि आपको पता चला कि आज किसी कंपनी के शेयर बढ़ने वाले हैं तो आपने सुबह कम भाव में कुछ शेयर खरीद लिए और शाम होते-होते आपने वही शेयर बड़े हुए भाव में बिक्री कर दी तो इसमें आपको लाभ हुआ
यह ट्रेडिंग बहुत ही रिस्क से भरी हुई है अगर किसी कारण बस उस कंपनी के शेयर शाम होते होते नीचे (Down) हो गए तो आप को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा
इस तरह की ट्रेडिंग के लिए कंपनी के बारे में गहन अध्ययन होना जरूरी है नहीं तो आप को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है
Delivery Based Share Investment (डिलीवरी बेस्ड शेयर इन्वेस्टमेंट):
यह शेयर खरीदने और बेचने (निवेश) करने का सबसे उचित तरीका है इसमें आप किसी कंपनी के शेयर खरीदने के बाद अपने डिमैट अकाउंट में जमा रखते हैं जब कभी कंपनी प्रॉफिट करती है तो उसमें 2 से 3 वर्ष भी लग सकता है और ज्यादा भी लग सकता है
तो आप अपने मुनाफे के साथ उस कंपनी से कंपनी के शेयर बेचकर लाभ कमा सकते हैं
मार्केट (Share Market) में निवेश करने के लिए आपके पास निम्नलिखित तीन अकाउंट होने चाहिए
- Saving account
- Demate account
- Trading account
Saving account :
सेविंग अकाउंट को हिंदी में बचत खाता भी कहते हैं इसमें हम अपनी सारी सेविंग
को इकट्ठा करते हैं इस पर बैंक एक निश्चित ब्याज देती है
Demate account:
डीमेट अकाउंट ऐसा अकाउंट है जिससे हमारे सारे शेयर रखे जाते हैं ,
जो कि ट्रेडिंग के लिए उपयोग में लाए जाते हैं
जैसे- हम बचत खाते में अपने पैसे रखते हैं और कुछ खरीदने के लिए ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो वह हमारा एक बैंक से दूसरे बैंक में इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर होता है इसी प्रकार अगर हमें शेयर खरीदने हैं या किसी को गिफ्ट करते है तो वह भी शेयर का एक डिमैट अकाउंट से दूसरे डिमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर किया जाएगा, शेयर का भौतिक रूप में कोई ट्रांसफर नहीं होता है जैसे हम पैसों को एटीएम के माध्यम से निकालकर भौतिक रूप में खर्च कर सकते हैं लेकिन शेयरों को नहीं कर सकते
Trading account:
अगर आपको शेयर मार्केट में खरीदारी और बिक्री करनी है तो ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी
‘शेयरों की खरीद-फरोख्त करने के लिए हमें शेयर ब्रोकर्स की जरूरत होती है’
शेयर स्टॉक ब्रोकर जिसे कि बहुत से लोग दलालों के नाम से भी जानते हैं
वह शेयर मार्केट और निवेशकों के मध्य की एक कड़ी का काम करते हैं बिना
ब्रोकर के हम कोई भी शेयर मार्केट में ना कोई से खरीद सकते हैं ना निकाल सकते हैं
शेयर मार्केट में अगर आपको आना है तो आपको डिमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी
और यह दोनों अकाउंट एक स्टॉकब्रोकर भी खोल सकता है या कोई बैंक के माध्यम से भी खोल सकते हैं
ब्रोकर अपनी सेवाओं के अनुसार अपनी कमीशन फीस भी देते हैं
Full-Service Broker
Discount Stock Broker
यह शुल्क अलग अलग ब्रोकर का अलग अलग हो सकता है भारत में ब्रोकरेज की बहुत सारी कंपनियां हैं
निम्नलिखित कंपनियां आपको नीचे मिल जाएंगे जिनमें आप अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवा कर
शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं कुछ ट्रेडिंग कंपनियां अपनी ग्राहक को पूरी तरह से सेवाएं देती हैं
जैसे ग्राहक को कब शेयर खरीदना है कब बेचना है यह भी वह बताते हैं
अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं तो आपको थोड़ा तो अध्ययन करना ही पड़ेगा क्योंकि
यह मार्केट बहुत ही रिस्की है अगर आप मार्केट का रिस्क नहीं उठाना चाहते हैं
तो आप म्यूचल फंड खरीद कर भी शेयर बाजार में अपना पैसा निवेश कर सकते हैं
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